Courtesy BBC
देहरादून के मिठी बेहड़ी में मलबे में
दबने से तीन लोगों की मौत हो गई है. सरकार ने मृत व्यक्तियों के आश्रितों
को मुख्यमंत्री कोष से 1.5-1.5 लाख रूपए सहायता के निर्देश दिए हैं.
बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित गढ़वाल मंडल है. गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ के चार धाम यात्रा मार्ग जगह जगह सड़क धंसने और मलबा आने के कारण बंद हो गए हैं जिससे मार्ग के दोनों ओर हजारों की तादाद में यात्री फंसे हुए हैं. वहां जरूरी सामान की किल्लत हो गई है. एक तरह से चार धाम यात्रा स्थगित हो गई है
देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, रूद्रप्रयाग,
चमोली, जोशीमठ और पुरोला में जगह- जगह सड़कों में पानी भर गया है, पुश्ते
ढह गए हैं, मलबा आ रहा है और नदियां उफान पर हैं. देहरादून के कई इलाके में
घरों में पानी और मलबा घुस गया है. बारिश के इस रौद्र रूप को देख लोग
हैरान परेशान हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक पीयूष रौतेला ने बीबीसी को बताया कि आपदा का सबसे ज्यादा असर रूद्रप्रयाग और केदारनाथ में है. अलग-अलग जगहों में बादल फटने, भूस्खलन और मलबा आने से 10 लोगों की मौत हो गई है. रौतेला के मुताबिक और लोगों के मरने की आशंका है. सुदूरवर्त्ती इलाकों का संपर्क कट गया है, मौसम खराब होने से राहत और बचाव कार्य में भी दिक्कतें आ रही हैं. रामबाड़ा से पुलिस स्टेशन तक खाली करा लिया गया है.
देहरादून में डालनवाला इलाके के ओमप्रकाश कहते हैं, "दो दिनों से घर से बाहर नहीं निकल पा रहा हूं. मेरे घर के आसपास घुटनों-घुटनों तक पानी जमा हुआ है."
अखबार बांटने का काम करनेवाले भगतसिंह क़ालोनी के धीरेंद्रसिंह रावत कहते हैं, "मैं अखबार लेने ही नहीं जा पाया हूं तो बांटूंगा कैसे. यहां तो जैसे बाढ़ ही आ गई है."
आशंका जताई जा रही है कि सुदूरवर्ती पर्वतीय इलाकों में भी आपदा की स्थिति होगी . सड़कें बंद होने और संचार व्यवस्था ठप हो जाने के कारण कई इलाकों से संपर्क कट गया है इसलिए वहां से सूचनाएं नहीं पंहुच रही हैं.
आपदा मंत्री यशपाल आर्य के अनुसार रास्तों में फंसे तीर्थयात्रियों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने व तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के उपाय किए जा रहे हैं .
प्रदेश के मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने अपील जारी की है कि उत्तराखण्ड आने वाले यात्री अधिक बरसात के कारण यहां आने से परहेज करें. पहले मौसम की जानकारी जरूर लें.
मौसम विभाग ने अगले 36 घंटों में भी भारी बारिश की चेतावनी दी है और बारिश से होनेवाली समस्याओं के प्रति आगाह किया है. विभाग के अनुसार आनेवाले दिनों में कुमांऊ ज्यादा प्रभावित हो सकता है.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/06/130616_uttarakhand_weather_ap.shtml?SThisFB
उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश कहर ढा रही है. अलग-अलग
जगहों में बादल फटने, भूस्खलन और मलबा आने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो
गई है. गढ़वाल में चार धाम यात्रा मार्ग बंद हो गए हैं जिसमें हजारों
तीर्थयात्री फंसे हुए हैं और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है.
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उत्तराखंड मौसम विभाग के निदेशक आनन्द शर्मा ने बीबीसी को बताया कि देहरादून में रिकॉर्ड क्लिक करें
बारिश हो रही है. इसके पहले 1925 में 28 जून को 188 मिमी बारिश हुई थी लेकिन पिछले 24 घंटे में ही इस बार 220 मिमी बारिश हो चुकी है.
बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित गढ़वाल मंडल है. गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ के चार धाम यात्रा मार्ग जगह जगह सड़क धंसने और मलबा आने के कारण बंद हो गए हैं जिससे मार्ग के दोनों ओर हजारों की तादाद में यात्री फंसे हुए हैं. वहां जरूरी सामान की किल्लत हो गई है. एक तरह से चार धाम यात्रा स्थगित हो गई है
रौद्र रूप
आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक पीयूष रौतेला ने बीबीसी को बताया कि आपदा का सबसे ज्यादा असर रूद्रप्रयाग और केदारनाथ में है. अलग-अलग जगहों में बादल फटने, भूस्खलन और मलबा आने से 10 लोगों की मौत हो गई है. रौतेला के मुताबिक और लोगों के मरने की आशंका है. सुदूरवर्त्ती इलाकों का संपर्क कट गया है, मौसम खराब होने से राहत और बचाव कार्य में भी दिक्कतें आ रही हैं. रामबाड़ा से पुलिस स्टेशन तक खाली करा लिया गया है.
देहरादून में डालनवाला इलाके के ओमप्रकाश कहते हैं, "दो दिनों से घर से बाहर नहीं निकल पा रहा हूं. मेरे घर के आसपास घुटनों-घुटनों तक पानी जमा हुआ है."
अखबार बांटने का काम करनेवाले भगतसिंह क़ालोनी के धीरेंद्रसिंह रावत कहते हैं, "मैं अखबार लेने ही नहीं जा पाया हूं तो बांटूंगा कैसे. यहां तो जैसे बाढ़ ही आ गई है."
आशंका जताई जा रही है कि सुदूरवर्ती पर्वतीय इलाकों में भी आपदा की स्थिति होगी . सड़कें बंद होने और संचार व्यवस्था ठप हो जाने के कारण कई इलाकों से संपर्क कट गया है इसलिए वहां से सूचनाएं नहीं पंहुच रही हैं.
राहत और बचाव
क्लिक करें राज्य के मुख्यमन्त्री विजय बहुगुणा के निर्देश पर मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने आईटीबीपी के कमाण्डेंट व बीआरओ से भारी बरसात के कारण बंद मार्गों को खोलने में सहयोग मांगा है. जिलाधिकारियों को भी आईटीबीपी व बीआरओ के सहयोग से भूस्खलन से बंद रास्तों को खोलने के लिए युद्धस्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं.आपदा मंत्री यशपाल आर्य के अनुसार रास्तों में फंसे तीर्थयात्रियों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने व तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के उपाय किए जा रहे हैं .
प्रदेश के मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने अपील जारी की है कि उत्तराखण्ड आने वाले यात्री अधिक बरसात के कारण यहां आने से परहेज करें. पहले मौसम की जानकारी जरूर लें.
मौसम विभाग ने अगले 36 घंटों में भी भारी बारिश की चेतावनी दी है और बारिश से होनेवाली समस्याओं के प्रति आगाह किया है. विभाग के अनुसार आनेवाले दिनों में कुमांऊ ज्यादा प्रभावित हो सकता है.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/06/130616_uttarakhand_weather_ap.shtml?SThisFB
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