Monday, June 17, 2013

कुपित गंगा मॉ के रौद्र रूप ने प्रलय का सा एहसास कराया Courtesy:- http://himalayauk.org

Courtesy:- http://himalayauk.org

काशी के बाद उत्तरकाशी का बडा महत्व है, भोलेनाथ तथा मॉ गगा का नगर माना जाता है दोनों को, परन्तु. उत्तरकाशी में मॉ गंगा रौद्र रूप दिखा रही है, गंगोत्री धाम के कपाट समेत अन्यू धामों के कपाट भी गलत मूहर्त में खोले जाने से अनिष्टं की आशंका की भविष्यहवाणी सवयं हमारे पोट्रल ने प्रकाशित की थी, परन्तु चार धाम मंदिर समिति, मंदिर के पंडो तथा पर्यटन मंत्री व मुख्यअमंत्री ने इस ओर जानबूझ कर उपेक्षा बरती, सबको कमाई का इंतजार था, लाखों करोडों श्रद्वालुओं से बेशुमार कमाई की जा रही है, धन ज्यादा खर्च करके ही दर्शन व ढंग से पूजा कराई जाती है वरना धक्का् मार कर बाहर, ऐसे में कुपित होकर गंगा मॉ रौद्र रूप दिखा रही है
पंकज सिंह महर लिखते हैं कि प्रलय का सा एहसास हो रहा है, ३६ घण्टे से लगातार बारिश हो रही है, उत्तरकाशी समेत पूरे गढ़वाल मण्डल में हाहाकार मचा है, केदारनाथ से भी बुरी खबरें आ रही हैं, धारचूला से, बागेश्वर से कर्णप्रयाग, कीर्तिनगर ……..हरिद्वार……त्राहिमाम
कैलाश जोशी लिखते हैं कि प्रक्रति ने अपना रोद्र रूप दिखाया ,उत्तराखंड में लोग दहशत में ,आपदा की मार से सभी बेहाल
भाजपा नेता मोहन सिंह गांववासी जी लिखते हैं कि उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण हो रही तबाही से मन दुखी है.. भगवान बदरीनाथ इस संकट से जल्दी उबारें, ऐसी प्रार्थना है …. जय बदरी विशाल!!
उत्तराखंड में कुदरत का तांडव, कई जगह बादल फटने की खबर है
हिमांशु बिष्टह के अनुसार रुद्रप्रयाग जिले में भी बदरीनाथ और केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग जगह-जगह मलबा आने और पुश्ता ध्वस्त होने से बाधित हो गए। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर भी बरसाती गदेरों के उफान में आने से आवाजाही ठप हो गई।
केदारनाथ में लगभग 700 यात्री फंसे हुए हैं। वहीं मोटर मार्ग पर स्थित पड़ावों पर चार हजार यात्री रुके हुए हैं। खतरे को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा पर रोक लगा दी है। कंचनगंगा (चमोली) में बदरीनाथ राजमार्ग का तीस मीटर हिस्सा बहने से धाम में दस हजार से अधिक तीर्थयात्री फंस गए हैं। हेमकुंड साहिब तीर्थयात्रा मार्ग पर घांघरिया के पास पैदल मार्ग पर हिमखंड टूटने से तीर्थयात्रा ठप पड़ गई है।
चार्ली पाण्‍डे लिखते है कि उत्तराखँडमेँ बारिश से जीवन अस्त ब्यस्त और मुख्यमंत्री जी दिल्ली मे चाय पकोडे खाने मेँ ब्यस्त….
दिनेश ध्याथनी लिखते हैं कि मित्रो ये व्यक्ति सुरेन्द्र सिंह नेगी है.. उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री, यदि कही दिखाई दे तो इन्हे उत्तराखंड का रास्ता बता दीजिएगा.. ख़ासतौर पर उत्तरकाशी और उसके आस पास इनकी बड़ी ज़रूरत है…. पिछले साल उत्तरकाशी की तबाही के वक्त ये लंदन मौज मस्ती करने चले गये थे….
पल पल इंडिया के अनुसार बारिश और भूस्खलन से उत्तराखंड में भारी तबाही हुई है. अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है. हालात ये हैं कि चार धाम यात्रा मार्ग को बंद करना पड़ा है. राज्य भर में करीब 20 हजार यात्री सड़कों पर ही फंसे हुए हैं. ज्यादातर नदियां खतरे के निशान के पास बह रही हैं.
केदारनाथ के पास वासुका ताल के फटने से 60 से ज्यादा श्रद्धालु बह गए. अब तक पांच शवों को निकाल लिया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. जिला प्रशासन के मुताबिक लोगों के बचने की उम्मीद बेहद कम है. राजेश कुमार, डीएम उत्तरकाशी ने कहा कि बारिश में फंसे यात्रियों को राहत कैंप में पहुंचाया गया है.
उत्तराखंड में भारी बारिश होने व कई जगह जमीन खिसकने से बड़ी तबाही हुई है. इस प्राकृतिक आपदा की वजह से अब तक 8 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 25 हजार लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. क्रिकेटर हरभजन सिंह भी जोशीमठ में ही फंसे हुए हैं.
अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के हेमकुंड साहब गए हरभजन सिंह को भी भारी बारिश के प्रकोप का सामना करना पड़ा. हरभजन सिंह ने फिलहाल जोशीमठ के ITBP कैंप में शरण ले रखी है. जानकारी के मुताबिक अगले 48 घंटे तक वे वहीं ठहरेंगे.
उत्तराखंड में लगातार बारिश होने से मची तबाही से 8 व्यक्तियों की मौत हो गई. उत्तरकाशी तथा चमोली जिलों में भूस्खलन व बाढ़ से सड़कें व पुल ध्वस्त होने से चार धाम की यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई.
देहरादून के प्रेमनगर थाने के प्रभारी विकास रावत ने बताया कि न्यू मीठी बेरी इलाके में एक मकान गिर जाने से एक ही परिवार के 3 व्यक्तियों की मौत हो गई.
आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा केंथुरा ने बताया कि रुद्रपयाग जिले में भूस्खलन में 5 व्यक्तियों की मौत हो गई और 6 अन्य घायल हो गए. मीरा ने बताया कि मंदाकिनी और अलकनंदा तथा गंगा की सहायक नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. रुद्रप्रयाग व गौरीकुंड को जोड़ने वाला पुल क्षतिग्रस्त हो गया और उसे बंद कर दिया गया है.
अधिकारी ने बताया कि खराब मौसम के कारण केदारनाथ यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गयी है. गंगोत्री-यमुनोत्री जाने वाले हजारों श्रद्धालु फंस गए हैं, क्योंकि पीपलमंडी, बराकी एवं नालुपानी में भूस्खलन से मार्ग बंद कर दिए गए हैं.
उत्तरकाशी जिले के होटलों और धर्मशालाओं में भी लोगों की भारी भीड़ है. चार धाम के यात्री वहां ठहरे हुए हैं. आपदा प्रबंधन व पुनर्वास मंत्री यशपाल आर्य ने बातया कि प्रशासन आपात स्थिति से निबटने के लिए चौकस है.
उत्तराखंड: हेल्‍पलाइन 0135-2710334, 0135-2710335, 0135-2710233
देहरादून में पूरन पाण्डेय द्वारा
बंजारावाला क्षेत्र में हुए जलभराव की सूचना के साथ सुबह आठ बजे रेनकोट पहनकर घर से निकला तो बरसात के भयानक रूप का अंदाजा नहीं था। लेकिन बंगाली कोठी से तालाब बनी सड़कों को देख कुछ अंदेशा हो गया।
बंजारावाला पहुंचते ही पुलिया पर खड़े लोग दिखे। जो जलमगभन हुए घरों को देखकर अफसोस कर रहे थे। तसवीरें लेने के लिए जैसे ही कैमरा निकाला तो घरों की छतों पर फंसे लोगों की करुण पुकार सुनाई दी। उनके घरों तक जाने वाली सड़क दरिया बन चुकी थी।
ऐसे में दीवारों और छतों के सहारे कूदते हुए किसी तरह एक घर तक पहुंचा। वहां एक युवा पानी निकालने की बेकार कोशिश कर रहा था और बुजुर्ग प्रशासन की व्यवस्था को कोस रहे थे।
बंजारावाला से निकलकर कार्गी रोड की तरफ बढ़ा तो हर जगह भयावह मंजर नजर आया। हर कोई अपने घर में भरे पानी की तस्वीरें खींचने के लिए कह रहा था। उनका इरादा अपनी परेशानी को अखबार के माध्यम से शासन-प्रशासन तक पहुंचाने की थी लेकिन मेरी अपनी सीमाएं थीं।
धर्मपुर क्षेत्र में लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। वे इस वजह से नाराज थे कि मौके पर पहुंचने में मैंने देरी क्यों की? यह परेशानी से उपजा ऐसा असहाय क्रोध था जिसको केवल नजरअंदाज ही किया जा सकता था। मैं माफी मांगकर अपने काम में लग गया। वे नाराज थे कि उनकी दशा देखने प्रशासन की तरफ से कोई नहीं आया।

धर्मपुर से निकला तो दोपहर के तीन बज चुके थे। इस बीच बरसात ने मेरे फोन को खराब कर दिया। आपदा की सूचनाएं आनी बंद हो गईं। ऐसे में मैं खुद ही शहर की हालत देखने निकल पड़ा। इस बीच कई जगहों पर सड़कें धंसी नजर आईं और जहां-तहां पेड़ गिरे दिखे। आसमान से लगातार गिर रही पानी की धार के आगे मेरे रेनकोट ने हार मान ली थी, लेकिन मैं नहीं हारा था। मेरे मन में अपने कैमरे में लोगों की परेशानियों को कैद करने की वही बेचैनी थी जो घर से निकलने से पहले थी।
शाम के छह बजे नगर निगम में गिरे पेड़ की तस्वीर खींचने के बाद मैंने सोचा कि अब दफ्तर चलता हूं लेकिन तभी फोन की रिंग टोन बज उठी। फोन ऑन करते ही एक रोते हुए व्यक्ति की आवाज सुनाई दी।
मेरा घर डूब रहा है, मेरे मवेशी डूब रहे हैं। कोई नहीं आया…मैं क्या करुं…? और सिसकते हुए विनती की कि मेरे घर की एक फोटो ले लो…। अजबपुरकलां क्षेत्र मेरे दफ्तर के रास्ते में नहीं पड़ता। ऐसे मंय और भीगने की हिम्मत मुझमें नहीं थी। दफ्तर चलने की सोच कर बाइक पर बैठा था लेकिन बाइक आफिस की तरफ आने के बजाए उस सिसकती आवाज की तरफ चल दी।
बताई गई जगह पर पहुंचा तो कोई नहीं मिला। कुछ फोटो खींचने के बाद जब चलने लगा तो एक मकान की खिड़की से धीमी आवाज आई कि आने के लिए धन्यवाद और नेताओं से कह देना कि अब वोट मांगने न आएं…। कुछ और जगहों की तस्वीरें खींचने के बाद मैं करीब आठ बजे आफिस पहुंचा। इस बीच बारिश से मेरा तन तरबतर हो चुका था लेकिन उससे अधिक मन भीगा था…।

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