Monday, June 24, 2013

Uttrakhand Guy who sacrifieced his life to save 100 pilgrims

देहरादून, दिनेश कुकरेती। भीषण आपदा के बीच उत्तराखंड के ग्रामीणों ने जीवटता की मिसाल पेश की है। तबाही के दौरान जब बाहरी प्रदेशों से आए श्रद्धालु अपनी जान बचाने के लिए यहां के गांवों की ओर भागे तो इन लोगों ने अपनी परवाह किए बिना उन्हें अपने हिस्से की रोटी और कपड़े तक दे दिए। अपनी जान जोखिम में डालकर मेहमानों के प्राण बचाए। इसी कोशिश में दीपगांव-फाटा गांव के नौजवान बुद्धि भट्ट ने अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सोन गंगा नदी की लहरों में समाने से पहले इस युवक ने करीब सौ यात्रियों की जान बचाई। पर बचाव कार्य में लगी सरकारी मशीनरी का ध्यान ऐसे ग्रामीणों की तरफ नहीं है।
पोसी चीन बार्डर पर पड़ने वाला रुद्रप्रयाग जिले का अंतिम गांव है। कुछ यात्रियों ने ग्रामीणों की अगुवाई में सोनगांव व गणेशचट्टी की डगर पकड़ी। लेकिन, सोन प्रयाग का पुल बह चुका था, सो पोसी जाना ही ज्यादा माकूल समझा गया। पोसी जाने के लिए एक अस्थायी पुल था, जो बाढ़ की भेंट चढ़ गया। ऐसे में गांव के कुछ नौजवानों ने बल्लियां काटकर कामचलाऊ पुल बनाया और उससे यात्रियों का पार कराने लगे। इन्हीं में 22 वर्षीय युवक बुद्धि भट्ट भी शामिल था। उसने खुद की जान जोखिम में डाल बल्लियों के ऊपर से यही कोई सौ-सवा सौ यात्रियों को पार कराया होगा। इस क्रम वह थक कर चूर हो गया पर उसने अपने हौसले को नहीं टूटने दिया और आखिरी यात्री को उस पार कराकर ही दम लिया। पर नियति को कुछ और मंजूर था। जैसे ही आखिरी यात्री पार हुआ, अचानक बुद्धि का पैर फिसला और सोन गंगा की उफनती लहरों ने उसे लील लिया।

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